शुक्रवार, 7 जनवरी 2011

दिल कि दुनिया बसा गया है कौन...

दिल की दुनिया बसा गया है कौन,
रंज-ओ-ग़म था मिटा गया है कौन,

आके चुपके से ख़्वाब में मेरे,
नींदें मीठी बना गया है कौन,

दूर रह कर भी शाख़ से कलियो,
तुमको जीना बता गया है कौन,

क्यों ये सरशारियाँ हवाओं में,
मस्ती अपनी लुटा गया है कौन...

अहसान 'मेरठी'

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