रविवार, 2 जनवरी 2011

सभी अंदाज़-ए-हुस्न प्यारे हैं...

सभी अंदाज़-ए-हुस्न प्यारे हैं,
हम मगर सादगी के मारे हैं,

ऐ सहारों की ज़िंदगी वालो,
कितने इंसान बेसहारे हैं,

वो हमीं हैं के जिनके हाथों ने,
गेसु-ए-ज़िंदगी सँवारे हैं,

उसकी रातों का इंतेक़ाम न पूछ,
जिसने हँस-हँस के दिन गुज़ारे हैं...

जिगर 'मुरादाबादी'

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