शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

देखना जब इधर से उधर जाओगे,
ये तो तय है कि तुम भी मुकर जाओगे,

तुमसे नज़रें मिलीं थीं यूँ ही बेसबब,
क्या ख़बर थी कि दिल में उतर जाओगे,

सब सबूतों को तुमने मिटा तो दिया,
याद आएंगे हम, तुम जिधर जाओगे,

मैं हूँ काँटा कसक छोड़ कर जाऊंगा,
तुम हो गुल देखना कल बिखर जाओगे...


चरणजीत ‘चरन’

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