शब्दों की अविरल धारा...
वो आए घर हमारे खुदा कि कुदरत है॥ कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते हैं...
रविवार, 9 मार्च 2008
कभी दरख्तों पर नाम लिखना, कभी किताबों में फूल रखना,
हमे आज तक याद है वो नज़र से हर्फ़-ऐ-सलाम लिखना.........
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